Sunday 26 June 2016

तस्वीर तेरी ....

अक्सर सोचती हूँ देख कर तस्वीर तेरी ,
जो तुझसे मोहब्बत ना होती तो क्या होती ज़िन्दगी मेरी ,
कई बेमंज़िल राहों पर भटकती ,
तन्हाई से भी तन्हा रहती ,
वादों कसमो पर हँसती ,
नहीं सिख पाती अकेले में मुस्कुराना ,
अल्फाज़ो का दरिया होकर भी खामोश रहती ,
तेरे इंकार का डर नही है मुझको ,
शुक्र है किसी से मोहब्बत करी ,
जिस खुदा की रोज अरदास करती
उसी खुदा के अक्स की तुझमे इबादत करी ,
जो तू ना होता तो महसूस ना करती इन हवाओ को ,,
खुद में रहकर खुद से ही अनजान होती
बिन तेरे नाराज़ रहती हर ख़ुशी से.....
अक्सर सोचती हूँ देखकर तस्वीर तेरी ,
जो तुझसे मोहब्बत ना होती तो क्या होती ज़िन्दगी मेरी....