कभी चाहती हूँ
मैं भी तुमको लिखना ,
पर तुम तो हो खामोश !!
तुम्हे लिखना उतना मुश्किल है
जितना तुम्हारे बिन बोले तुमको सुनना
मैं कह दूँ तुमको
तुम भरे हुए हो मेरी आत्मा में,
रूह का अक्स हो मेरा ,
तितली के स्वप्न से,
तुम सुन रहे हो दूर से मुझे
फिर भी आवाज़ मेरी नहीं
पहुँच रही है तुम तक,,
तुम्हारी ख़ामोशी सितारे जैसी है
जो दूर तो है पर सत्य भी है ,,
रौशनी सी निर्मल शांति जिसने
घेर लिया है मुझे चारो और से,,
ये जो गूंज रही है
मेरे चारो तरफ
क्या ये तुम्हारी ख़ामोशी है....
या तुम्हारा
ना होके भी मेरी रूह में होना !!!!
Saturday 23 April 2016
तुम्हारा होना
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Nice....
ReplyDeleteबहुत अच्छे 👌
ReplyDelete😊😊😊
Delete😊😊😊
Deleteबहुत अच्छे 👌
ReplyDeleteपागल
ReplyDeleteख़ामोशी है ज़रा गौर से सुनना
कुछ ऐसा है इस ओर से सुनना
आवाज़ों में सन्नाटा हैं
ज़र्द पत्ते है कुछ
बिखरी आदते
भीगे मौसम की चाहतें
और हर रोज़ गुज़रती तन्हा शाम
कैसा हैं इस शोर से सुनना ...??
👌👌👌
Delete👌👌👌
Deleteवाह बहुत खूबसूरत लिखा है तुमने
ReplyDeleteशुक्रिया 😊😊
Deleteशुक्रिया 😊😊
Deleteमर्मस्पर्शी ....
ReplyDeleteतुम हो
मैं हूँ
और एक खामोशी
तुम कुछ लिखते क्यूँ नहीं
तुम्हारे एक-एक शब्द
मेरे वजूद का
अहसास कराते हैं
तुम्हारी पलकों का
उठना व गिरना
तुम्हारा होठों में ही
मंद-मंद मुस्कुराना
तुम्हारा बेकाबू होती
साँसों की धड़कनें
तुम्हारे शरीर की खुशबू
तुम्हारी छुअन का अहसास
सब कुछ
इस खामोशी को
झुठलाता है...
सुनो !
तुम कुछ लिखो ना ....
कभी मेरे ब्लॉग पर भी यात्रा कीजिये !!