Saturday 23 April 2016

तुम्हारा होना

कभी चाहती हूँ
       मैं भी तुमको लिखना ,
पर तुम तो हो खामोश !!
तुम्हे लिखना उतना मुश्किल है
    जितना तुम्हारे बिन बोले तुमको सुनना
      मैं कह दूँ तुमको
तुम भरे हुए हो मेरी आत्मा में,
      रूह का अक्स हो मेरा ,
तितली के स्वप्न से,
      तुम सुन रहे हो दूर से मुझे
फिर भी आवाज़ मेरी नहीं
      पहुँच रही है तुम तक,,
तुम्हारी ख़ामोशी सितारे जैसी है
       जो दूर तो है पर सत्य भी है ,,
रौशनी सी निर्मल शांति जिसने
       घेर लिया है मुझे चारो और से,,
ये जो गूंज रही है
       मेरे चारो तरफ
क्या ये तुम्हारी ख़ामोशी है....
   या तुम्हारा 
    ना होके भी मेरी रूह में होना !!!!

12 comments:

  1. बहुत अच्छे 👌

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  2. बहुत अच्छे 👌

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  3. पागल

    ख़ामोशी है ज़रा गौर से सुनना
    कुछ ऐसा है इस ओर से सुनना
    आवाज़ों में सन्नाटा हैं
    ज़र्द पत्ते है कुछ
    बिखरी आदते
    भीगे मौसम की चाहतें
    और हर रोज़ गुज़रती तन्हा शाम
    कैसा हैं इस शोर से सुनना ...??

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  4. वाह बहुत खूबसूरत लिखा है तुमने

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  5. मर्मस्पर्शी ....

    तुम हो
    मैं हूँ
    और एक खामोशी
    तुम कुछ लिखते क्यूँ नहीं
    तुम्हारे एक-एक शब्द
    मेरे वजूद का
    अहसास कराते हैं
    तुम्हारी पलकों का
    उठना व गिरना
    तुम्हारा होठों में ही
    मंद-मंद मुस्कुराना
    तुम्हारा बेकाबू होती
    साँसों की धड़कनें
    तुम्हारे शरीर की खुशबू
    तुम्हारी छुअन का अहसास
    सब कुछ
    इस खामोशी को
    झुठलाता है...
    सुनो !
    तुम कुछ लिखो ना ....

    कभी मेरे ब्लॉग पर भी यात्रा कीजिये !!

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