Saturday 23 April 2016

तुम्हारा होना

कभी चाहती हूँ
       मैं भी तुमको लिखना ,
पर तुम तो हो खामोश !!
तुम्हे लिखना उतना मुश्किल है
    जितना तुम्हारे बिन बोले तुमको सुनना
      मैं कह दूँ तुमको
तुम भरे हुए हो मेरी आत्मा में,
      रूह का अक्स हो मेरा ,
तितली के स्वप्न से,
      तुम सुन रहे हो दूर से मुझे
फिर भी आवाज़ मेरी नहीं
      पहुँच रही है तुम तक,,
तुम्हारी ख़ामोशी सितारे जैसी है
       जो दूर तो है पर सत्य भी है ,,
रौशनी सी निर्मल शांति जिसने
       घेर लिया है मुझे चारो और से,,
ये जो गूंज रही है
       मेरे चारो तरफ
क्या ये तुम्हारी ख़ामोशी है....
   या तुम्हारा 
    ना होके भी मेरी रूह में होना !!!!